जम्मू-कश्मीर पर भारत का स्पष्ट रुख: तीसरे पक्ष का दखल मंजूर नहीं, पाकिस्तान को PoK खाली करना होगा

नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को साफ कर दिया कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष का दखल मंजूर नहीं है। यह बयान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस वार्ता के दौरान दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसके मुद्दों का समाधान केवल भारत और पाकिस्तान के बीच ही संभव है।

रणधीर जायसवाल का बयान:

"भारत का रुख स्पष्ट है – जम्मू-कश्मीर पर कोई तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं कर सकता। पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को तुरंत खाली करना होगा।"


ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश को भी खारिज किया

दो दिन पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जम्मू-कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता की पेशकश की थी। हालांकि, भारत ने इसे स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।

  • विदेश मंत्रालय ने कहा: "जम्मू-कश्मीर पर भारत का रुख पहले भी स्पष्ट था और आज भी है। यह भारत का आंतरिक मामला है और किसी तीसरे देश का इसमें कोई स्थान नहीं है।"

  • पाकिस्तान को सीधा संदेश: "पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को तुरंत खाली करना चाहिए और आतंकवाद का समर्थन बंद करना चाहिए।"


भारत का सख्त रुख: कूटनीतिक और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर सक्रिय

भारत ने न केवल कूटनीतिक मंचों पर बल्कि सुरक्षा मोर्चे पर भी स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा।

  • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का संदेश: जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर कोई भी निर्णय केवल भारत सरकार द्वारा ही लिया जाएगा।

  • PoK पर भारत का सख्त रुख: भारत PoK को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है और पाकिस्तान द्वारा इसके अवैध कब्जे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार उठाता रहा है।


भारत-पाकिस्तान संबंध: बातचीत का विकल्प खुला, लेकिन आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं

भारत ने बार-बार कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन यह बातचीत आतंकवाद और हिंसा से मुक्त होनी चाहिए।

भारत की मांगें:

  1. पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को खाली करना होगा।

  2. आतंकवादियों को समर्थन और प्रशिक्षण देना बंद करना होगा।

  3. सीमा पार आतंकवाद पर सख्त कार्रवाई करनी होगी।

रणधीर जायसवाल का संदेश:

"भारत शांति चाहता है, लेकिन सम्मान और संप्रभुता के साथ। हम किसी भी दबाव में नहीं आएंगे।"


जम्मू-कश्मीर विवाद: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान ने इसके एक हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है जिसे PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) कहा जाता है। भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे उजागर करता रहा है और पाकिस्तान के अवैध कब्जे को चुनौती देता है।

  • 1947: जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय, महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।

  • 1948: संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर का मामला उठा, भारत ने शांति प्रयास किए।

  • 1972: शिमला समझौता – भारत और पाकिस्तान ने विवादों को द्विपक्षीय वार्ता से सुलझाने का निर्णय लिया।

  • 2019: भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया।


क्या भारत के इस रुख से बनेगी अंतरराष्ट्रीय समझ?

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष का दखल मंजूर नहीं है। यह रुख न केवल भारत की संप्रभुता की रक्षा करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश भी देता है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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