जयपुर: राजस्थान की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की छवि उस वक्त धूमिल हो गई जब उसी के एक उप अधीक्षक (ASP) सुरेंद्र कुमार शर्मा को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। जयपुर मुख्यालय में तैनात ASP को दो दलालों के साथ गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी टेक्निकल एविडेंस और गहन निगरानी के आधार पर की गई।
ACB का अधिकारी होने के बावजूद सुरेंद्र शर्मा डीटीओ (जिला परिवहन अधिकारी) सहित कई विभागीय अधिकारियों से मंथली 'बंधी' वसूलने में लिप्त था। दलालों की मदद से ये पैसे नियमित रूप से एकत्र किए जाते थे। यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि जो एजेंसी प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए बनी है, उसी का अधिकारी घूस का नेटवर्क चला रहा था।
ACB टीम ने ASP सुरेंद्र शर्मा और उसके दो दलालों की फोन कॉल्स, व्हाट्सएप चैट, लेन-देन की रिकार्डिंग और अन्य तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर निगरानी की। जब सबूत पक्के हुए तो सोमवार को तीनों को एक संयुक्त ऑपरेशन में गिरफ्तार कर लिया गया।
ACB सूत्रों के अनुसार, यह कोई व्यक्तिगत भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि एक संगठित मंथली कलेक्शन सिस्टम था, जिसमें डीटीओ से लेकर अन्य विभागीय अफसर भी जुड़े हो सकते हैं। अब एसीबी पूरे मामले की कड़ी से कड़ी जोड़कर जांच का दायरा बढ़ाने जा रही है।
जानकारी के अनुसार, ASP शर्मा के संबंध कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से भी थे, जिनकी भूमिका की भी जांच की जा रही है। इस पूरे मामले ने न केवल ACB की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि राजस्थान सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर भी गंभीर असर डाला है।
राजस्थान ACB की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि:
"ASP सुरेंद्र कुमार शर्मा और उनके दो सहयोगियों को पर्याप्त तकनीकी सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है। जांच जारी है।"
निष्कर्ष:
ACB जैसे जांच एजेंसी के भीतर भ्रष्टाचार का यह मामला राजस्थान में प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि सरकार और एजेंसियां इस मामले में कितना गहराई तक जाकर दोषियों को सजा दिला पाती हैं।
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