राजस्थान : की राजनीति में हलचल मचाने वाला मामला सामने आया है। बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा को एसडीएम को पिस्टल दिखाने के केस में ट्रायल कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा और अब सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। इसके चलते उनकी विधायकी पर तलवार लटक रही है। अब भाजपा उन्हें विधायकी बचाने के लिए राज्यपाल से सजा माफी की संभावना तलाश रही है।
यह पूरा मामला 2011 का है जब तत्कालीन एसडीएम से किसी बात पर विवाद के दौरान विधायक कंवरलाल मीणा ने कथित रूप से पिस्टल दिखा दी थी। मामले की जांच और सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए 3 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया। इसके बाद मीणा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब उन्हें बुधवार को कोर्ट में सरेंडर करना है। लेकिन इससे पहले भाजपा नेता और कानूनी विशेषज्ञ सजा माफी के विकल्प पर मंथन कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, राज्यपाल से माफी की अर्जी दी जा सकती है ताकि सजा निरस्त हो और उनकी विधायकी बरकरार रह सके।
इस तरह के मामलों में गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में राज्यपालों द्वारा सजा माफ किए जाने के उदाहरण पहले भी सामने आ चुके हैं। इन उदाहरणों के आधार पर भाजपा उम्मीद कर रही है कि राजस्थान में भी यही रास्ता अपनाया जा सकता है।
भारतीय संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधियों की सदस्यता समाप्त हो सकती है। चूंकि कंवरलाल मीणा को 3 साल की सजा सुनाई गई है, ऐसे में उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है यदि माफी नहीं मिलती।
कंवरलाल मीणा का मामला सिर्फ एक कानूनी संकट नहीं, बल्कि एक राजनीतिक अग्निपरीक्षा बन चुका है। भाजपा किसी भी कीमत पर उनकी विधायकी बचाना चाहती है, लेकिन राज्यपाल से माफी मिलती है या नहीं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। यह मामला आने वाले समय में राजस्थान की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकता है।
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