जयपुर। राजस्थान में भवन निर्माण के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा तय की गई 14 बिल्डिंग उपविधियों को संशोधित करते हुए अपार्टमेंट निर्माण के लिए न्यूनतम भूखंड सीमा को दोगुना कर दिया है।
गहलोत सरकार के समय 250 वर्गमीटर के भूखंड पर अपार्टमेंट या फ्लैट निर्माण की अनुमति थी, लेकिन अब यह सीमा 500 वर्गमीटर कर दी गई है।
राजस्थान नगरीय क्षेत्र अपार्टमेंट उपविधियों में यह संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इसका सीधा असर शहरी क्षेत्रों में अपार्टमेंट योजनाओं पर पड़ेगा।
अब 250 से 499 वर्गमीटर के भूखंड पर फ्लैट निर्माण की अनुमति नहीं मिलेगी, जिससे छोटे भूखंड पर बिल्डरों की योजनाएं अटक सकती हैं।
छोटे भूखंडों पर निर्माण प्रतिबंध के चलते अब फ्लैट योजनाएं शहर के बाहर के क्षेत्रों में शिफ्ट हो सकती हैं, जहां बड़े भूखंड आसानी से उपलब्ध हैं। इससे शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के लिए सस्ती हाउसिंग की उपलब्धता पर असर पड़ेगा।
गहलोत राज की कुल 14 भवन उपविधियों में संशोधन किया गया है। इनमें पार्किंग, ओपन स्पेस, सीढ़ियों की चौड़ाई, बेसमेंट की ऊंचाई जैसी कई तकनीकी बातें शामिल हैं, जो बिल्डरों के लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत कर सकती हैं।
राज्य सरकार का कहना है कि ये बदलाव शहरी नियोजन और सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने के लिए किए गए हैं। इसके तहत अव्यवस्थित निर्माण पर रोक लगाई जा सकेगी और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस निर्णय के बाद रियल एस्टेट डेवलपर्स और बिल्डर्स के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ ने इसे बेहतर नियोजन की दिशा में कदम बताया, तो कुछ ने इसे छोटे बिल्डरों के लिए बाधक बताया है।
राजस्थान में नई बिल्डिंग उपविधियां शहरी परिदृश्य को बदल सकती हैं। जहां एक ओर सरकार इसे विकास की दृष्टि से देख रही है, वहीं आमजन और बिल्डर्स के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
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