सीकर (राजस्थान): ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के नेतृत्व में चल रहे ‘वक्फ बचाओ आंदोलन’ के तहत मुस्लिम फोरम सीकर ने गुरुवार को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और वक्फ संपत्तियों पर हमला करार दिया और तत्काल रद्द करने की मांग की।
सुबह 11 बजे से शुरू हुए धरने में सैकड़ों पुरुष, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने “वक्फ हमारा अधिकार है” और “धार्मिक आज़ादी बचाओ” जैसे नारे लगाकर केंद्र सरकार के विरोध में एक स्वर में आवाज़ उठाई।
मुस्लिम फोरम के अध्यक्ष मुअज्ज़ज अंसारी ने कहा,
“यह अधिनियम सीधे हमारी धार्मिक स्वतन्त्रता में दखलअंदाज़ी है। वक्फ संपत्तियाँ समुदाय की आजीविका और सामाजिक सेवाओं के लिए जरूरी हैं, इन्हें कमजोर नहीं होने देंगे।”
सरकारी नियंत्रण में वृद्धि:
संशोधन के तहत केंद्र सरकार को वक्फ बोर्डों पर अधिक निर्ग्रह नियंत्रण देने का प्रावधान है।
संपत्ति हस्तांतरण:
अधिनियम कथित रूप से वक्फ संपत्तियों को बेचने या सरकारी परियोजनाओं में लगाने की गारंटी देता है।
स्थानीय संस्थानों का अधिकार घटाए:
जिला एवं राज्य वक्फ बोर्डों के निर्णय लेने की स्वतंत्रता कम हो जाएगी, जिससे स्तरगत प्रशासनिक हस्तक्षेप बढ़ेगा।
मुअज्ज़्ज़ अंसारी (अध्यक्ष, मुस्लिम फोरम सीकर):
“अगर वक्फ संपत्तियों को सरकारी योजनाओं के लिए डायवर्ट किया गया, तो मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों पर भारी असर पड़ेगा।”
अमीर खान (वरिष्ठ समाजसेवी):
“वक्फ संपत्तियों से संचालित मदरसों, छात्रावासों और गरीबों के लिए चैरिटी कार्य बंद हो जाएंगे, यह सीधे अल्पसंख्यक कल्याण को प्रभावित करेगा।”
फातिमा बानो (प्रदर्शनकारिणी):
“हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज़ उठा रहे हैं; सरकार हमारी चेतावनी अनसुनी न करे।”
जिला कलेक्टर ने बैनर-पोस्टर तथा बगैर परमिट खड़े किए गए तंबू व स्टॉल हटाने का निर्देश जारी किया। हालांकि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दी और ज्ञापन सौंपकर आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार तक उनकी मांगे पहुंचाई जाएँगी।
AIMPLB की योजना है:
संबंधित सांसदों और विधायिकाओं को इस अधिनियम के खामियों से अवगत कराना
सभी जिला मुख्यालयों पर ‘वक्फ बचाओ आंदोलन’ का समन्वित प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अधिनियम को असंवैधानिक करार देने की मांग
निष्कर्ष:
सीकर का यह प्रदर्शन सिर्फ एक जिला विरोध नहीं, बल्कि पूरे देश की मुस्लिम जाति के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। धार्मिक स्वतंत्रता और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए यह आवाज़ और आंदोलन तेज़ होते रहने की स्पष्ट आशंका है।
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