राजस्थान : में चल रहे एक पारिवारिक संपत्ति बंटवारे का केस शायद प्रदेश का ही नहीं, बल्कि देश का सबसे पुराना केस बन चुका है। 1937 में शुरू हुआ यह विवाद, अब 2025 में भी कोर्ट की फाइलों में जिंदा है। सुप्रीम कोर्ट तक की यात्रा कर चुका यह केस, अब राजस्थान हाईकोर्ट में दूसरे राउंड की सुनवाई झेल रहा है।
यह मामला एक रियासतकालीन संपत्ति के बंटवारे को लेकर शुरू हुआ था। परिवार के बुजुर्गों ने जयपुर के पास स्थित लगभग 200 बीघा जमीन और 12 हवेलियों के बंटवारे को लेकर एक सिविल केस दर्ज करवाया था। शुरुआत स्थानीय दरबार में हुई, फिर यह केस जिला अदालत, हाईकोर्ट और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक गया।
इस केस की पहली पीढ़ी के अधिकतर सदस्य अब इस दुनिया में नहीं हैं। दूसरी पीढ़ी ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाया, और अब तीसरी पीढ़ी इस मामले की पैरवी कर रही है। एक वादी ने बताया,
"हमारे दादा जी ने यह केस शुरू किया था। अब हमारे बच्चे इसकी सुनवाई सुनते हैं।"
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1989 और 2012 में दो बार अंतरिम आदेश दिए। लेकिन दोनों बार पक्षों के बीच सहमति नहीं बन सकी। अब यह केस राजस्थान हाईकोर्ट में दोबारा सुनवाई के लिए लिस्टेड है।
संपत्ति की सही सीमा और दस्तावेजों की अनुपलब्धता
हर पीढ़ी में नए वादियों का जुड़ना
पक्षकारों की बढ़ती संख्या और मतभेद
कोर्ट में तारीख दर तारीख मिलने की व्यवस्था
इन सभी वजहों से यह मामला कानून के गलियारों में अटका पड़ा है।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस भारत की न्याय प्रणाली में लंबित मामलों के बोझ का एक उदाहरण है।
"ऐसे मामलों में विशेष सुनवाई प्रक्रिया या मध्यस्थता जैसे उपाय अपनाए जाएं तो समाधान जल्द हो सकता है।" – वरिष्ठ अधिवक्ता
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