लखनऊ | भारत के सबसे खौफनाक सीरियल किलर्स में गिने जाने वाला राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर को आज लखनऊ कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि जैसे ही जज ने फैसला सुनाया, राजा कोलंदर ने मुस्कुराते हुए कहा, "साहब, सजा मंजूर है।" न कोई शिकन, न कोई पछतावा। पुलिस की गाड़ी में बैठते वक्त भी वह हंसते हुए पुलिसकर्मियों से बातचीत करता नजर आया।
राजा कोलंदर सिर पर लंबी चोटी (शिखा), सफेद कुर्ता-पायजामा और कंधे पर गमछा डाले कोर्ट में पेश हुआ था। उसकी चाल में गर्व और घमंड साफ नजर आता था। मानो वह किसी उत्सव में आया हो। अदालत से बाहर निकलते वक्त वह एक आम व्यक्ति की तरह नहीं बल्कि एक ‘विचित्र आत्मविश्वास’ के साथ निकला।
राजा कोलंदर ने 14 से ज्यादा लोगों की बेरहमी से हत्या की थी।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, वह कत्ल करने के बाद उनके अंग खा जाता था।
वह खुद को तांत्रिक शक्ति से लैस मानता था और हत्या को ‘अग्नि शुद्धि’ मानता था।
उसका पहला शिकार एक पत्रकार था, जिसका सिर काटकर उसने उबाल कर खाया था।
यह मामला लखनऊ में पिछले कई वर्षों से चल रहा था।
कोर्ट ने गवाहों के बयान, डीएनए सबूत और आरोपी की स्वीकारोक्ति के आधार पर उसे दोषी ठहराया।
जब जज ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई, तो आम तौर पर गुनहगार के चेहरे पर पछतावा दिखाई देता है।
लेकिन राजा कोलंदर तो मुस्कुरा रहा था, मानो सजा को पुरस्कार समझ रहा हो।
राजा कोलंदर का हंसता चेहरा केवल अपराध नहीं, विकृति और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। यह घटना बताती है कि मानवता के मुखौटे में छिपे राक्षस भी हमारे बीच मौजूद हैं।
ऐसे मामलों में केवल सजा नहीं, मानसिक स्वास्थ्य, अपराध मनोविज्ञान और सुधारात्मक व्यवस्था पर भी चर्चा जरूरी है।
राजा कोलंदर का केस सिर्फ एक अपराध कथा नहीं, बल्कि एक मानवता को झकझोर देने वाली सच्चाई है। उसकी हंसी हमें याद दिलाती है कि अपराध केवल शरीर पर ही नहीं, आत्मा पर भी वार करता है।
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