ढाका, बांग्लादेश: बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के 10 महीने बाद ही राजनीतिक अस्थिरता एक बार फिर चरम पर है। सूत्रों के अनुसार, अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वकार हुसैन के बीच गहरा मतभेद पैदा हो गया है। यह टकराव अब संभावित इस्तीफे और सत्ता बदलाव की ओर इशारा कर रहा है।
पिछले पांच दिनों में बांग्लादेश में तेजी से घटनाक्रम बदले हैं। जानकारी के अनुसार मोहम्मद यूनुस, जो कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और सामाजिक उद्यमिता के प्रतीक माने जाते हैं, अब अंतरिम सरकार की कमान छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। अफवाहें यह भी हैं कि वे यूरोप पलायन कर सकते हैं।
जनरल वकार, जिन्होंने जुलाई 2024 के तख्तापलट में बड़ी भूमिका निभाई थी, अब यूनुस के कई निर्णयों से असहमत बताए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि वे चाहते हैं कि सरकार में सेना का प्रभाव और बढ़े, जबकि यूनुस लोकतांत्रिक प्रणाली की बहाली की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो पिछले वर्ष सत्ता से बेदखल की गई थीं, एक बार फिर चर्चा में हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मौजूदा संकट उनकी राजनीतिक वापसी की जमीन तैयार कर सकता है। उनकी पार्टी अवामी लीग के कुछ नेता विदेश में उनसे संपर्क में हैं।
जुलाई 2024: सेना द्वारा संवैधानिक आपातकाल घोषित, शेख हसीना को नजरबंद किया गया
अगस्त 2024: मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया
जनवरी 2025: देश में आंशिक लोकतांत्रिक गतिविधियों की बहाली शुरू हुई
मई 2025: यूनुस और सेना के बीच टकराव सार्वजनिक हुआ
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली के लिए निरंतर दबाव बना रहे हैं। लेकिन आंतरिक हालात बेहद जटिल हैं। राजधानी ढाका और चटगांव में सेना की गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। नागरिकों में भय और अनिश्चितता का माहौल है।
बांग्लादेश एक बार फिर सत्ता और लोकतंत्र के दोराहे पर खड़ा है। मोहम्मद यूनुस का अगला कदम इस बात का निर्धारण करेगा कि देश किस दिशा में आगे बढ़ेगा। क्या वे इस्तीफा देंगे और यूरोप रवाना होंगे? क्या सेना दोबारा सत्ता पर कब्जा जमाएगी? या क्या शेख हसीना की वापसी संभव होगी? ये सवाल अब हर बांग्लादेशी की जुबान पर हैं।
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