नई दिल्ली: भारतीय रक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने 27 मई से ‘इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन’ (ISO) नियम लागू कर दिया है। इस नियम के तहत अब एक सिंगल अधिकारी को थल सेना, नौसेना और वायुसेना — तीनों सेनाओं के जवानों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया है।
यह नियम रक्षा सुधारों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच समन्वय को और मजबूत बनाना है।
इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन वह संरचना है जिसके तहत अब एकीकृत थिएटर कमांड्स और संयुक्त सेना संगठन एक अधिकारी के अधीन काम करेंगे। इसका मकसद यह है कि थल सेना, नौसेना और वायुसेना के जवानों को एक समान कमांड और कंट्रोल सिस्टम में लाया जा सके।
इससे पहले, कोई अधिकारी केवल अपनी संबंधित सेवा (जैसे आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) के जवानों पर ही अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता था।
यह बिल पहली बार 2023 के मानसून सत्र में संसद में पेश किया गया था।
दोनों सदनों में पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिली थी।
अब केंद्र सरकार ने इस कानून को लागू करने के लिए आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, जो 27 मई 2025 से प्रभाव में आया है।
अनुशासनात्मक कार्रवाई (Court Martial सहित)
ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन से जुड़े निर्णय
अंतर-सेवा समन्वय और मिशन आधारित आदेश जारी करना
प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स का एकीकृत प्रबंधन
मौजूदा समय में भारत थिएटराइजेशन (Theaterisation) की ओर बढ़ रहा है, यानी युद्ध के समय सभी सेनाओं को एक कमांड में लाना।
इससे कम्युनिकेशन गैप, दोहराव वाले संसाधनों और प्रतिक्रिया समय में देरी जैसी समस्याओं को दूर किया जा सकेगा।
चीन और अमेरिका जैसी बड़ी सेनाओं में यह प्रणाली पहले से ही लागू है।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की रणनीतिक तैयारियों को नई दिशा देगा। भविष्य के युद्धों में तीनों सेनाओं का समन्वय बहुत महत्वपूर्ण होगा, और यह नियम उस समन्वय को कानूनी और प्रशासनिक आधार देता है।
‘इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन’ नियम का लागू होना भारत की सैन्य संरचना में एक युगांतरकारी बदलाव है। इससे भारत की सेना न केवल अधिक प्रभावशाली होगी, बल्कि एकीकृत सैन्य शक्ति के रूप में तेजी से निर्णय लेने और कार्रवाई करने में सक्षम होगी।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.