जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में कैब ड्राइवरों की हड़ताल से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ऐप बेस्ड टैक्सी सेवाएं देने वाले करीब 5 हजार ड्राइवर बीते दो दिनों से सड़कों पर नहीं हैं। ड्राइवरों का आरोप है कि कंपनियां मनमाने रेट पर बुकिंग करवा रही हैं, जिससे उन्हें नुकसान हो रहा है।
क्रांतिकारी टैक्सी ड्राइवर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह रतनू ने बताया कि, "हम न्यूनतम किराया तय करने की मांग कर रहे हैं। 5 किमी तक कम से कम 100 रुपए किराया होना चाहिए, ताकि ड्राइवर को मेंटेनेंस और फ्यूल खर्च निकालने में आसानी हो। कंपनियां 5 किमी की दूरी के लिए कभी 40 रुपए देती हैं, तो कभी 60 रुपए। यह ड्राइवरों के साथ अन्याय है।"
हड़ताल के चलते जयपुर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट और ऑफिस इलाकों में टैक्सी सेवाएं लगभग ठप हैं। यात्रियों को आने-जाने के लिए ऑटो रिक्शा का सहारा लेना पड़ रहा है। लेकिन ऑटो चालकों ने भी स्थिति का फायदा उठाकर किराया दोगुना कर दिया है।
शहर की निवासी रीना गुप्ता कहती हैं, “मैं रोज ऑफिस जाने के लिए ओला कैब लेती हूं, लेकिन आज ऑटो ने घर से ऑफिस के 8 किमी के सफर के लिए 200 रुपए मांगे। ये नाइंसाफी है।”
कैब यूनियन का कहना है कि जब तक सरकार और ऐप बेस्ड कंपनियां न्यूनतम किराया तय नहीं करतीं और ड्राइवरों को उचित कमाई नहीं मिलती, तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी। साथ ही उन्होंने ऐप्स में ड्राइवरों के लिए पारदर्शी कमाई नीति लागू करने और बार-बार बदलते कमीशन रेट के खिलाफ भी आवाज उठाई है।
ड्राइवरों की मांगों में ये प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
न्यूनतम 5 किमी का किराया 100 रुपए तय हो
प्रति किमी ₹18-₹20 का किराया लागू हो
कंपनी का कमीशन अधिकतम 15% तक सीमित हो
बुकिंग से पहले ड्राइवर को किराया और रूट की पूरी जानकारी मिले
फिलहाल प्रशासन ने कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया है। परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “मामले पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही कैब यूनियन के प्रतिनिधियों से बैठक कर समाधान निकाला जाएगा।”
जयपुर जैसे पर्यटन और प्रशासनिक शहर में टैक्सी सेवाओं का ठप होना आम नागरिकों के लिए बड़ा संकट बन चुका है। सरकार और ऐप कंपनियों को शीघ्र हस्तक्षेप कर समाधान निकालना होगा, ताकि न यात्रियों को परेशानी हो और न ही ड्राइवरों का शोषण हो।
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