राहुल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा,
“मोदी को सरेंडर करने की आदत है। ट्रम्प ने 11 बार सार्वजनिक रूप से कहा कि ‘मोदी ने मेरे सामने सरेंडर किया’, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक बार भी यह नहीं कहा कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं। आखिर क्यों चुप रहे पीएम मोदी? क्या देश के प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य नहीं कि वो भारत की गरिमा का बचाव करें?”
राहुल गांधी के इस बयान ने देश की विदेश नीति और नेतृत्व की गरिमा पर बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विदेशों में जाकर देश के आत्मसम्मान से समझौता करते हैं, जबकि एक जिम्मेदार नेता को भारत की प्रतिष्ठा के लिए खड़ा होना चाहिए।
राहुल के इस बयान पर अब भाजपा की प्रतिक्रिया का इंतजार है। संभावना है कि पार्टी इस बयान को लेकर कांग्रेस पर देश की छवि खराब करने का आरोप लगाए। इससे पहले भी चुनावी सीजन में दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति गरमाई रही है।
राहुल गांधी ने जिन बयानों का जिक्र किया, वो कथित रूप से डोनाल्ड ट्रम्प के पूर्व के इंटरव्यू और भाषणों से संबंधित हैं, जिनमें उन्होंने भारत और पीएम मोदी के साथ संबंधों का ज़िक्र किया था। हालांकि, सरेंडर संबंधी किसी आधिकारिक बयान की पुष्टि अमेरिकी या भारतीय सरकार की ओर से नहीं हुई है।
राहुल गांधी के इस बयान से एक बार फिर पीएम मोदी और विदेश नीति को लेकर बहस शुरू हो गई है। ऐसे समय में जब देश में राजनीतिक माहौल चुनावी रंग में रंगा हुआ है, यह मुद्दा आगे चलकर चुनावी रणनीति और जन भावनाओं को कितना प्रभावित करेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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