पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी अभ्यर्थी की जगह एक और व्यक्ति को NEET परीक्षा में बैठाया गया। इसके लिए 60 लाख रुपए की डील हुई थी। आरोपी डॉक्टरों और छात्र ने मिलकर इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया, जिससे परीक्षा पास कर एमबीबीएस में दाखिला संभव हो सका।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि परीक्षा पास करने के बाद फर्जी उम्मीदवार ने AIIMS Jodhpur जैसे टॉप मेडिकल कॉलेज में MBBS कोर्स में दाखिला ले लिया। पुलिस का कहना है कि यदि समय पर यह मामला सामने नहीं आता, तो आने वाले समय में एक फर्जी डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहा होता।
पुलिस ने जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें से दो पहले से ही डॉक्टर हैं, जबकि एक मेडिकल स्टूडेंट है। तीनों को पुलिस रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ की जा रही है। यह भी जांच की जा रही है कि इसके पीछे कोई बड़ा रैकेट तो नहीं है।
पुलिस को जब इस फर्जीवाड़े की भनक लगी, तो उन्होंने NEET परीक्षा फॉर्म, फिंगरप्रिंट, और फेस रेकग्निशन सिस्टम के जरिए जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में ही कई गड़बड़ियां उजागर हो गईं। इसके बाद तकनीकी टीम की मदद से पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया गया।
इस घटना ने एक बार फिर देश की शिक्षा प्रणाली और मेडिकल एंट्रेंस परीक्षाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। AIIMS जैसे टॉप संस्थान में फर्जीवाड़े से दाखिला मिलना सिस्टम की कमजोरियों की ओर इशारा करता है।
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस तरह के और भी केस सामने आ सकते हैं। साथ ही, मेडिकल कॉलेज प्रशासन को भी मामले की जानकारी दी गई है। AIIMS जोधपुर में दाखिला निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
NEET परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर AIIMS जैसे संस्थान में प्रवेश लेने की यह घटना बेहद गंभीर है। अगर पुलिस समय रहते कदम न उठाती, तो यह फर्जी डॉक्टर भविष्य में मानव जीवन से खिलवाड़ कर सकता था। अब देखना होगा कि क्या सरकार और शिक्षा संस्थाएं ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाती हैं या नहीं।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.