कृषि विभाग में फील्ड पर तैनात कुछ महिला कर्मचारियों ने दो वरिष्ठ अफसरों पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। यह शिकायतें कई महीने पहले दर्ज की गई थीं। विभाग ने आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के माध्यम से मामले की जांच करवाई, जिसमें दोनों अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोप सत्य पाए गए।
हालांकि, शिकायत सही पाए जाने के बाद भी विभागीय स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई न होने से प्रशासनिक गलियारों में चिंता बढ़ गई।
राज्य के मुख्य सचिव ने मामले में हो रही देरी को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कृषि विभाग से पूछा है कि
“जब आंतरिक जांच में अफसर दोषी पाए गए हैं, तो अब तक अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?”
मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि विभाग तुरंत इस प्रकरण पर रिपोर्ट सौंपे और पीड़ितों को न्याय देने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
सूत्रों के अनुसार, विभाग इन अधिकारियों पर नीचे दिए गए एक या अधिक अनुशासनात्मक कदम उठा सकता है:
निलंबन या सेवा से बर्खास्तगी
अनुशासनात्मक विभागीय जांच
वेतन वृद्धि/पदोन्नति पर रोक
आपराधिक मामला दर्ज कराने की प्रक्रिया
इस मामले ने सरकारी विभागों में महिला कर्मचारियों की सुरक्षा और कार्यस्थल पर व्यवहार के मानकों पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।
जहां एक ओर महिला कर्मचारियों ने हिम्मत दिखाते हुए शिकायत दर्ज करवाई, वहीं दूसरी ओर कार्रवाई में ढिलाई ने सिस्टम की गंभीरता पर सवाल खड़े किए हैं।
राजस्थान सरकार के लिए यह मामला महिला सुरक्षा, प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की कसौटी पर खरा उतरने का अवसर है।
अब देखना होगा कि मुख्य सचिव की सख्ती के बाद विभाग क्या ठोस कदम उठाता है।
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