झुंझुनूं: प्राइवेट और सरकारी डॉक्टरों का अनूठा प्रयास, गरीबों का बना 'मुफ्त अस्पताल'

झुंझुनूं (राजस्थान): जब देशभर में महंगे इलाज से गरीब तबका जूझ रहा है, ऐसे समय में झुंझुनूं जिले ने मानवता की एक मिसाल पेश की है। यहां प्राइवेट और सरकारी डॉक्टरों ने मिलकर एक अनूठा अस्पताल शुरू किया है, जहां हर दिन शाम पांच से सात बजे तक गरीबों का मुफ्त इलाज किया जाता है। इस पहल को 'गरीबों का अस्पताल' नाम दिया गया है, जो हजारों जरूरतमंदों के लिए राहत की किरण बन चुका है।


महंगे इलाज की चिंता से मिली राहत

मेडिकल सर्विस सोसायटी द्वारा संचालित इस अस्पताल में प्रतिदिन 10 डॉक्टर और 15 चिकित्साकर्मी सेवा देते हैं। ये सभी अपनी नियमित ड्यूटी के बाद स्वेच्छा से शाम को मरीजों को मुफ्त परामर्श, सामान्य जांच और दवाइयां उपलब्ध कराते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अब उन्हें महंगे इलाज की चिंता नहीं रहती और वे निडर होकर अपनी समस्याएं डॉक्टरों से साझा कर पाते हैं।


रोजाना उमड़ती है भीड़, 50 से अधिक मरीजों का होता है इलाज

झुंझुनूं शहर के ईदगाह के पास स्थित इस पॉलीक्लिनिक में अब तक 30 डॉक्टर और 42 चिकित्साकर्मी जुड़ चुके हैं। रोटेशन सिस्टम के तहत हर डॉक्टर चौथे दिन अपनी सेवाएं देता है। रोजाना औसतन 50 से अधिक मरीज यहां मुफ्त इलाज करवाने आते हैं।


कोरोना काल से उपजी सेवा भावना

इस पहल के सूत्रधार समाजसेवी जाकिर सिद्दीकी बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों में गरीब मरीजों को न तो बेड मिला, न ऑक्सीजन। इस दर्द को महसूस करते हुए 'सिम्पैथी प्रोजेक्ट' की शुरुआत 30 अक्टूबर 2020 को हुई। इसके तहत मेडिकल उपकरण जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर, बेड, व्हील चेयर मामूली शुल्क (5 से 10 रुपये प्रतिदिन) पर जरूरतमंदों को उपलब्ध कराए जाते हैं, और उपकरण लौटाने पर यह राशि वापस कर दी जाती है।


मुंबई प्रवासी ने दी प्रेरणा

सोसायटी से जुड़े डॉ. आरिफ मिर्जा और डॉ. अनीस के अनुसार, इस मिशन की प्रेरणा मुंबई में बसे झुंझुनूं के प्रवासी फकरू बेग मिर्जा से मिली। उन्होंने सवाल उठाया कि जब मुंबई में ट्रस्ट मुफ्त इलाज करा सकते हैं तो झुंझुनूं में क्यों नहीं? इस सवाल ने 15 अगस्त 2021 को इस क्लिनिक की नींव रखी, जिसमें शुरुआत में तीन डॉक्टर और छह स्टाफ सदस्य जुड़े थे। आज यह कारवां 30 डॉक्टर और 42 चिकित्साकर्मियों तक पहुंच गया है।


दिहाड़ी मजदूरों के लिए वरदान

एमएसएस पॉलीक्लिनिक के संयोजक डॉ. मोहम्मद असलम ने बताया कि दिहाड़ी मजदूरों के लिए शाम को इलाज का विकल्प होना बेहद जरूरी था। सरकारी अस्पतालों में दिनभर की भीड़ के कारण उन्हें चिकित्सा सेवा नहीं मिल पाती थी। इस क्लिनिक ने उन मजदूरों को एक सुरक्षित और सुलभ चिकित्सा मंच प्रदान किया है।


Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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