घटना गुरुवार सुबह करीब 9 बजे की है। फैक्ट्री से अचानक तेज़ धुआं निकलता देखा गया और चंद मिनटों में आग ने भीषण रूप ले लिया। कॉलोनी के लोगों ने फौरन दमकल विभाग और पुलिस को सूचना दी। मौके पर तुरंत कई दमकल गाड़ियां पहुंचीं और आग बुझाने का अभियान शुरू किया गया।
सबसे चिंताजनक बात यह रही कि फैक्ट्री परिसर में घरेलू उपयोग वाले 7 एलपीजी सिलेंडर रखे गए थे, जिनमें विस्फोट का खतरा था। दमकलकर्मियों और स्थानीय निवासियों की सतर्कता से इन सिलेंडरों को समय रहते बाहर निकाल लिया गया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।
आग की लपटों के बीच फैक्ट्री में रखे केमिकल और प्लास्टिक मैटीरियल के कारण विस्फोट जैसी आवाजें भी सुनाई दीं। चारों ओर धुआं फैल गया और कॉलोनी में रहने वाले लोग अपने-अपने घरों से बाहर आ गए। कई बुजुर्गों और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
जयपुर दमकल विभाग की टीम के साथ-साथ स्थानीय पुलिस बल मौके पर तैनात है। करीब 10 दमकल गाड़ियां मौके पर लगातार पानी की बौछार कर रही हैं। दमकल विभाग के अधिकारियों के अनुसार, “आग पर काबू पाने की कोशिश जारी है, और प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।”
स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह फैक्ट्री आवासीय क्षेत्र में बिना उचित अनुमति के चल रही थी। इस मामले में प्रशासन की भूमिका और लापरवाही पर भी सवाल उठने लगे हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
पुलिस और प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति आग लगे क्षेत्र की ओर न जाए, ताकि राहत कार्य में कोई बाधा न आए। साथ ही सोशल मीडिया पर अफवाहें न फैलाने की चेतावनी भी दी गई है।
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया है कि आवासीय कॉलोनियों में चल रही औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती की ज़रूरत है। समय रहते की गई कार्रवाई से बड़ी त्रासदी टली, लेकिन प्रशासन और नगर निकाय की ज़िम्मेदारी भी अब सवालों के घेरे में है।
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